नया एक  रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम 
बिछड़ना है तो झगडा क्यूँ करें हम ,
ख़ामोशी से अदा हो रश्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम ||

वफ़ा इखलास क़ुरबानी मोहब्बत
अब इन लफ़्ज़ों का पिछा क्यूँ करें हम,
सुना दें इस्मत-ए-मरियम का किस्सा 
पर अब इस बाब को व क्यूँ करें हम ||

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